बाइनरी (द्विआधारी) संख्या पद्धति कंप्यूटर की मूलभूत भाषा है, जिसमें केवल दो अंक 0 (शून्य) और 1 (एक) का प्रयोग होता है। यह पद्धति इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स (जैसे ट्रांजिस्टर) पर आधारित है, जहां 0 = OFF (बंद) और 1 = ON (चालू) अवस्था को दर्शाता है।
1. बाइनरी
संख्याओं का प्रतिनिधित्व (Binary
Number Representation) :-
- बाइनरी संख्याएँ आधार2 (Base2) पद्धति में होती हैं।
- प्रत्येक बिट (0 या 1) का मान 2 की घात (Power of 2) पर निर्भर करता है।
- उदाहरण:
- `1011₂` (बाइनरी) = `1×2³ + 0×2² + 1×2¹ + 1×2⁰`
- `= 8 + 0 + 2 + 1 = 11₁₀` (दशमलव)
2. बाइनरी अंकगणित (Binary Arithmetic) :-
Ø बाइनरी संख्याओं पर जोड़, घटाव, गुणा और भाग किया जा सकता है।
(A) बाइनरी जोड़ (Binary Addition) :-
बाइनरी जोड़ के
नियम :-
- `0 + 0 = 0`
- `0 + 1 = 1`
- `1 + 0 = 1`
- `1 + 1 = 10` (यहाँ 1 कैरी (Carry) होता है)
उदाहरण 1 :-
- 1 0 1 1 (11₁₀)
- + 1 1 0 1 (13₁₀)
- 1 1 0 0 0 (24₁₀)
विस्तृत हल :-
- 1 1 1 ← कैरी
- 1 0 1 1
- + 1 1 0 1
- 1 1 0 0 0
(B) बाइनरी घटाव (Binary Subtraction) :-
बाइनरी घटाव के
नियम :-
- `0 0 = 0`
- `1 0 = 1`
- `1 1 = 0`
- `0 1 = 1` (कर्जा लेकर, जिसमें 1 बोरो (Borrow) होता है)
उदाहरण 2 :-
- 1 1 0 1 (13₁₀)
- 1 0 1 1 (11₁₀)
- 0 0 1 0 (2₁₀)
विस्तृत हल :-
- 1 1 0 1
- 1 0 1 1
- 0 0 1 0
- (यहाँ दूसरे बिट से बोरो लिया गया है।)
(C) बाइनरी गुणा (Binary Multiplication) :-
बाइनरी गुणा के
नियम :-
- `0 × 0 = 0`
- `0 × 1 = 0`
- `1 × 0 = 0`
- `1 × 1 = 1`
उदाहरण 3 :-
- 1 0 1 (5₁₀)
- × 1 1 0 (6₁₀)
- 0 0 0
- 1 0 1
- 1 0 1
- 1 1 1 1 0 (30₁₀)
(D) बाइनरी भाग (Binary Division)
:-
- बाइनरी भाग दशमलव भाग की तरह होता है, लेकिन केवल 0 और 1 का प्रयोग होता है।
उदाहरण 4 :-
- 1 1 0 1 1 (27₁₀) ÷ 1 0 1 (5₁₀) = 1 0 1 (5₁₀), शेष = 1 0 (2₁₀)
विस्तृत हल :-
- 1 0 1
- 1 0 1 ) 1 1 0 1 1
- 1 0 1
- 0 1 1 1
- 1 0 1
- 1 0 (शेष)
3. बाइनरी
संख्याओं का पूरक (Complements in Binary) :-
- कंप्यूटर में घटाव के लिए पूरक (Complements) विधि का उपयोग होता है।
(A) 1s पूरक (1s Complement) :-
v सभी बिट्स को उल्टा कर दिया जाता है (`0 → 1`, `1 → 0`)।
उदाहरण :-
v `1010₂` का 1s पूरक = `0101₂`
(B) 2s पूरक (2s Complement) :-
v 1s पूरक में 1 जोड़ने पर 2s पूरक प्राप्त होता
है।
उदाहरण :-
v `1010₂` का 1s पूरक = `0101₂`
v `0101 + 1 = 0110₂` (2s पूरक)
2s पूरक का उपयोग घटाव में :-
- 1 0 1 0 (10₁₀)
- 0 1 1 0 (6₁₀)
- 0 1 0 0 (4₁₀)
इसे 2s पूरक विधि से हल करें :-
- `0110` का 2s पूरक = `1001 + 1 = 1010`
- अब जोड़ें:
- `1010 + 1010 = 1 0100` (सबसे बाएँ बिट को छोड़ दें)
- `= 0100₂ = 4₁₀`
4. बाइनरी संख्याओं का अनुप्रयोग (Applications of Binary Arithmetic) :-
- कंप्यूटर प्रोसेसिंग: सभी अंकगणितीय और तार्किक संचालन बाइनरी में होते हैं।
- डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स: लॉजिक गेट्स (AND, OR, NOT) बाइनरी पर काम करते हैं।
- डेटा एन्कोडिंग: टेक्स्ट, इमेज और वीडियो बाइनरी फॉर्म में स्टोर होते हैं।
महत्वपूर्ण
बिंदु :-
बाइनरी अंकगणित कंप्यूटिंग का मूल आधार है।
इसका ज्ञान डिजिटल सिस्टम, प्रोग्रामिंग और कंप्यूटर आर्किटेक्चर के लिए
आवश्यक है।

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