कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी |

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर |


तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (1964–1971) ने कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में एक और बड़ा कदम आगे बढ़ाया। इस युग में इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuits  IC) का उपयोग शुरू हुआ, जिसने कंप्यूटरों को छोटा, तेज़, अधिक विश्वसनीय और किफायती बनाया। इस पीढ़ी में कंप्यूटरों का उपयोग वैज्ञानिक, व्यावसायिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैल गया।

 तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की मुख्य विशेषताएं :-

1. इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का उपयोग :-

  • ICs ने ट्रांजिस्टर, रेसिस्टर्स और कैपेसिटर्स को एक छोटे चिप में समाहित किया। 
  • इससे कंप्यूटरों का आकार और लागत कम हुई, जबकि गति और विश्वसनीयता बढ़ी। 
  • ICs ने कंप्यूटरों को मिनिएचराइजेशन (Miniaturization) की ओर अग्रसर किया।

2. आकार में कमी :-

  • कंप्यूटरों का आकार और भी छोटा हुआ, जिससे वे मिनीकंप्यूटर (Minicomputers) के रूप में उपलब्ध होने लगे। 
  • उदाहरण: IBM System/360, जो पहले की तुलना में काफी छोटा था।

3. प्रदर्शन में सुधार :-

  • प्रोसेसिंग स्पीड नैनोसेकंड (ns) तक पहुँची। 
  • मेमोरी क्षमता और स्टोरेज क्षमता में वृद्धि हुई।

4. ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास :-

  • मल्टीप्रोग्रामिंग (Multiprogramming) और टाइमशेयरिंग (TimeSharing) तकनीकों का उपयोग शुरू हुआ। 
  • ऑपरेटिंग सिस्टम (जैसे UNIX) ने कंप्यूटरों को एक साथ कई कार्य करने में सक्षम बनाया।

5. प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास :-

  • हाईलेवल प्रोग्रामिंग भाषाएँ (जैसे FORTRAN, COBOL, BASIC, PASCAL) का व्यापक उपयोग हुआ। 
  • प्रोग्रामिंग और सॉफ्टवेयर विकास आसान और अधिक सुलभ हो गया।

6. ऊर्जा दक्षता :-

·         ICs ने बिजली की खपत को और कम किया, जिससे कंप्यूटर अधिक किफायती बने।

7. व्यावसायिक उपयोग :-

·      कंप्यूटरों का उपयोग व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी क्षेत्रों में बढ़ा। 

· रियलटाइम प्रोसेसिंग (Real Time Processing) और डेटाबेस मैनेजमेंट (Database Management) का विकास हुआ।

 तीसरी पीढ़ी के प्रमुख कंप्यूटर :-

1. IBM System/360 :-

  • 1964 में लॉन्च हुआ, यह पहला कंप्यूटर था जिसने फैमिली कॉन्सेप्ट (Family Concept) पेश किया। 
  • यह विभिन्न आकार और क्षमताओं वाले मॉडल्स में उपलब्ध था, जो विभिन्न उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करता था।

2. PDP8 (Programmed Data Processor8) :-

·         डिजिटल इक्विपमेंट कॉर्पोरेशन (DEC) द्वारा निर्मित, यह पहला सफल मिनीकंप्यूटर था। 

·    यह छोटे व्यवसायों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए किफायती था।

3. UNIVAC 1108 :-

·         यह एक उन्नत कंप्यूटर था जिसमें मल्टीप्रोग्रामिंग और वर्चुअल मेमोरी की सुविधा थी।

4. Honeywell 6000 Series :-

·         यह कंप्यूटर व्यावसायिक और वैज्ञानिक उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया था।

5. ICL 1900 Series :-

·         यूनाइटेड किंगडम में विकसित, यह कंप्यूटर शिक्षा और व्यवसाय में व्यापक रूप से उपयोग किया गया।

 तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ :-

1. छोटा आकार: ICs के कारण कंप्यूटरों का आकार और भी छोटा हुआ। 

2. तेज़ गति: प्रोसेसिंग स्पीड में भारी वृद्धि। 

3. विश्वसनीयता: ICs ने कंप्यूटरों को अधिक टिकाऊ बनाया। 

4. कम लागत: उत्पादन लागत में कमी के कारण कंप्यूटर अधिक सुलभ हुए। 

5. ऊर्जा दक्षता: बिजली की खपत में कमी। 

 सीमाएँ :-

1. व्यक्तिगत उपयोग के लिए अनुपयुक्त: अभी भी कंप्यूटर महंगे थे और मुख्य रूप से संस्थानों तक सीमित थे। 

2. सीमित उपयोगकर्ता इंटरफेस: ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) का अभाव था। 

3. हार्डवेयर सीमाएँ: आज के मानकों से तुलना करने पर स्टोरेज और प्रोसेसिंग क्षमता सीमित थी। 

 इतिहास में महत्व :-

1. कंप्यूटर नेटवर्किंग की शुरुआत हुई, जिसने इंटरनेट के विकास की नींव रखी। 

2. सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री का उदय हुआ, जिसमें प्रोग्रामिंग भाषाओं और ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ। 

3. व्यक्तिगत कंप्यूटर (PC) के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ। 


 महत्वपूर्ण बिंदु :-


तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों ने आधुनिक कंप्यूटिंग की नींव मजबूत की। ICs के उपयोग ने चौथी पीढ़ी (1971–वर्तमान) के लिए रास्ता खोला, जहाँ माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) का उपयोग शुरू हुआ और व्यक्तिगत कंप्यूटर (PC) का युग शुरू हुआ।


 

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