कंप्यूटर की दूसरी पीढी

कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी |

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (1956–1963) ने कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में क्रांतिकारी बदलाव लाए। यह पीढ़ी ट्रांजिस्टर (Transistor) तकनीक पर आधारित थी, जिसने पहली पीढ़ी के वैक्यूम ट्यूब्स की तुलना में कंप्यूटरों को छोटा, तेज़, और अधिक विश्वसनीय बनाया। इस युग में कंप्यूटरों का उपयोग वैज्ञानिक, व्यावसायिक और सैन्य क्षेत्रों में बढ़ा।

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की मुख्य विशेषताएं :-

1. ट्रांजिस्टर का उपयोग:- 

  • वैक्यूम ट्यूब्स के स्थान पर ट्रांजिस्टर का उपयोग शुरू हुआ। 
  • ट्रांजिस्टर छोटे, अधिक टिकाऊ, कम बिजली खपत वाले, और कम गर्मी पैदा करने वाले थे। 
  • इससे कंप्यूटरों की गति और विश्वसनीयता में सुधार हुआ।

2. आकार में कमी:-

  • पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में आकार छोटा हुआ, लेकिन आज के मानकों से ये अभी भी बड़े थे (कमरा घेरने वाले)। 
  • उदाहरण: IBM 1401, जो एक डेस्क के आकार का था।

3. मेमोरी तकनीक:-

  • मैग्नेटिक कोर मेमोरी (Magnetic Core Memory) का विकास हुआ, जो पहले की तुलना में तेज़ और अधिक भरोसेमंद थी। 
  • डेटा स्टोरेज के लिए मैग्नेटिक टेप और डिस्क का उपयोग बढ़ा।

4. प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास :- 

  • असेम्बली भाषा (Assembly Language) और हाईलेवल प्रोग्रामिंग भाषाएँ (जैसे FORTRAN, COBOL, ALGOL) का उदय हुआ। 
  • यह पहली पीढ़ी की मशीनी भाषा (0 और 1) से एक बड़ा सुधार था। 
  • प्रोग्रामिंग आसान और अधिक सुलभ हो गई।

5. ऊर्जा दक्षता :-

·         ट्रांजिस्टर के कारण बिजली की खपत कम हुई। उदाहरण: IBM 7090 ने पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में 90% कम बिजली का उपयोग किया।

6. प्रदर्शन :-

·         प्रोसेसिंग स्पीड माइक्रोसेकंड (μs) तक पहुँची (पहली पीढ़ी में मिलीसेकंड)। 

·         स्टोरेज क्षमता बढ़ी, जिससे जटिल समस्याओं को हल करना संभव हुआ।

 दूसरी पीढ़ी के प्रमुख कंप्यूटर :-

1. IBM 1401 :-

  • 1959 में लॉन्च हुआ, यह व्यावसायिक उपयोग के लिए सबसे लोकप्रिय कंप्यूटर था। 
  •  इसे डेटा प्रोसेसिंग, पेरोल, और इन्वेंटरी मैनेजमेंट के लिए इस्तेमाल किया गया।

2. IBM 7090 :- 

  • वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग गणनाओं के लिए डिज़ाइन किया गया। 
  • NASA ने अंतरिक्ष मिशनों में इसका उपयोग किया।

3. UNIVAC 1107 :- 

·         1962 में बना, यह पहला कंप्यूटर था जिसमें मल्टीप्रोग्रामिंग की क्षमता थी।

4. DEC PDP1 :-

·         डिजिटल इक्विपमेंट कॉर्पोरेशन (DEC) द्वारा निर्मित, यह पहला इंटरैक्टिव कंप्यूटर था। 

·         इसमें ग्राफिक्स डिस्प्ले और वीडियो गेम्स (जैसे "Spacewar!") चलाने की क्षमता थी।

5. Honeywell 400 :-

·         रियलटाइम डेटा प्रोसेसिंग के लिए उपयोग किया जाता था।

 दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ :-

1. पहली पीढ़ी की तुलना में अधिक विश्वसनीय और कम गर्मी पैदा करने वाले। 

2. ऊर्जा दक्षता में सुधार। 

3. प्रोग्रामिंग आसान हुई (हाईलेवल भाषाओं के कारण)। 

4. गति और स्टोरेज क्षमता में वृद्धि। 

 सीमाएँ :-

1. आकार: अभी भी बड़े और महंगे थे। 

2. हार्डवेयर सीमाएँ: ट्रांजिस्टर अभी भी हाथ से जोड़े जाते थे, जिससे निर्माण प्रक्रिया जटिल थी। 

3. व्यक्तिगत उपयोग के लिए अनुपयुक्त: ये कंप्यूटर मुख्य रूप से संस्थानों और सरकारी एजेंसियों तक सीमित थे। 

 इतिहास में महत्व :-

·         व्यावसायिक कंप्यूटिंग की शुरुआत: कंपनियों ने डेटा प्रोसेसिंग और प्रबंधन के लिए कंप्यूटरों को अपनाया। 

·         ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रारंभिक विकास हुआ। 

·         कंप्यूटर नेटवर्किंग की नींव पड़ी (जैसे SAGE सिस्टम)। 


महत्वपूर्ण बिंदु :-

दूसरी पीढ़ी ने कंप्यूटरों को व्यावहारिक और उपयोगी बनाया। ट्रांजिस्टर और हाईलेवल भाषाओं ने तीसरी पीढ़ी (1964–1971) के लिए रास्ता खोला, जहाँ इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का उपयोग शुरू हुआ।



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