पहली पीढ़ी के कंप्यूटर (1940 - 1956) कंप्यूटर इतिहास में एक महत्वपूर्ण चरण थे। ये कंप्यूटर वैक्यूम ट्यूब (Vacuum Tube) तकनीक पर आधारित थे और इनका विकास मुख्य रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ। ये कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े, महंगे और अधिक बिजली की खपत करने वाले होते थे। इनकी प्रसंस्करण क्षमता आज के कंप्यूटरों की तुलना में बहुत कम थी।
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर की मुख्य विशेषताएं :-
1. वैक्यूम
ट्यूब तकनीक :-
v पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया
जाता था। ये ट्यूब इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को नियंत्रित करने और प्रवर्धित करने का
काम करती थीं। हालांकि, ये ट्यूब आकार में बड़ी, गर्मी पैदा करने वाली और
अक्सर खराब हो जाती थीं।
2. आकार और
वजन :-
v ये कंप्यूटर बहुत बड़े और भारी होते थे, जो पूरे कमरे को घेर लेते
थे। उदाहरण के लिए, ENIAC
कंप्यूटर का वजन लगभग 30
टन था।
3. प्रोग्रामिंग :-
v इन कंप्यूटरों को प्रोग्राम करना बहुत मुश्किल था। प्रोग्रामिंग मशीनी भाषा (Machine Language) में की जाती थी, जो बाइनरी कोड (0 और 1)
पर आधारित होती थी।
4. गति और
क्षमता :-
v इन कंप्यूटरों की गति धीमी थी और इनकी स्टोरेज क्षमता भी
बहुत सीमित थी। उदाहरण के लिए, ENIAC प्रति सेकंड लगभग 5,000 गणनाएं कर सकता था।
5. ऊर्जा की
खपत :-
v ये कंप्यूटर बहुत अधिक बिजली की खपत करते थे।
उदाहरण के लिए, ENIAC को चलाने के लिए लगभग 150
किलोवाट बिजली की आवश्यकता होती थी।
पहली
पीढ़ी के कंप्यूटर के उदाहरण :-
1. ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer):-
v यह पहला इलेक्ट्रॉनिक सामान्यउद्देश्य वाला कंप्यूटर था, जिसे 1945 में बनाया गया।
इसका उपयोग मुख्य रूप से सैन्य गणनाओं के लिए किया गया।
2. UNIVAC I (Universal Automatic Computer):-
v यह पहला व्यावसायिक कंप्यूटर था, जिसे 1951 में जनता के
लिए पेश किया गया। इसका उपयोग व्यापार और वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के लिए किया गया।
3. EDVAC (Electronic Discrete Variable Automatic
Computer):-
v यह कंप्यूटर संग्रहितप्रोग्राम अवधारणा (Stored Program Concept) पर आधारित था, जिसने प्रोग्रामिंग को
आसान बनाया।
4. EDSAC (Electronic Delay Storage Automatic Calculator):-
v यह पहला व्यावहारिक संग्रहितप्रोग्राम वाला कंप्यूटर था, जिसे 1949 में बनाया गया।
पहली
पीढ़ी के कंप्यूटर की सीमाएं :-
v वैक्यूम ट्यूब अक्सर खराब हो जाती थीं, जिससे रखरखाव की लागत
अधिक थी।
v इन कंप्यूटरों को ठंडा रखने के लिए बड़े शीतलन प्रणाली की
आवश्यकता होती थी।
v प्रोग्रामिंग बहुत जटिल और समय लेने वाली थी।
नोट :-
पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों
ने आधुनिक कंप्यूटरों के विकास की नींव रखी। इनके बाद दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों
में ट्रांजिस्टर का उपयोग शुरू हुआ, जिसने कंप्यूटरों को छोटा, तेज और अधिक विश्वसनीय
बनाया।

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