प्रकाशीय पेन एक इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग कंप्यूटर स्क्रीन पर सीधे ड्रॉ या टेक्स्ट लिखने के लिए किया जाता है। यह एक पेन के आकार का उपकरण होता है, जो स्क्रीन पर प्रकाश (Light) का पता लगाकर कर्सर की स्थिति को निर्धारित करता है। यह 1980 और 1990 के दशक में ग्राफिक्स डिजाइन, कंप्यूटरएडेड डिजाइन (CAD), और अन्य इंटरैक्टिव एप्लिकेशन्स में लोकप्रिय था।
प्रकाशीय पेन का कार्य सिद्धांत
1. प्रकाश
संवेदनशीलता :-
v प्रकाशीय पेन में एक फोटोडिटेक्टर (Photo detector) होता है, जो स्क्रीन पर प्रकाश के स्रोत (जैसे CRT मॉनिटर की इलेक्ट्रॉन बीम) का पता लगाता है।
2. समय समन्वय :-
v जब पेन को स्क्रीन पर छुआ जाता है, तो यह स्क्रीन के उस बिंदु पर प्रकाश का पता
लगाता है और कंप्यूटर को सिग्नल भेजता है। कंप्यूटर इस सिग्नल का उपयोग करके कर्सर
की स्थिति निर्धारित करता है।
3. इंटरैक्शन:-
v पेन के बटन दबाकर उपयोगकर्ता क्लिक या ड्रॉ जैसी क्रियाएँ
कर सकता है।
v प्रकाशीय पेन के उपयोग
1. ग्राफिक्स
डिजाइन:
- डिजिटल पेंटिंग और ड्रॉइंग के लिए।
- CAD सॉफ्टवेयर में सटीक डिजाइन बनाने के लिए।
2. शिक्षा:
v इंटरएक्टिव व्हाइटबोर्ड और शैक्षिक सॉफ्टवेयर में।
3. मेडिकल
इमेजिंग:
v एक्सरे, MRI, और CT स्कैन की छवियों को
एनोटेट करने के लिए।
4. गेमिंग :-
v 1980 और 1990 के दशक में कुछ गेम्स में प्रकाशीय पेन का उपयोग किया गया।
v प्रकाशीय पेन के लाभ
1. सटीकता :-
v स्क्रीन पर सीधे ड्रॉ करने की सुविधा।
2. इंटरएक्टिविटी :-
v उपयोगकर्ता को स्क्रीन के
साथ सीधा संवाद करने की अनुमति देता है।
3. सरल उपयोग :-
v माउस की तुलना में अधिक प्राकृतिक और सहज।
प्रकाशीय पेन की सीमाएँ :-
1. स्क्रीन प्रकार :-
v केवल CRT मॉनिटर के साथ काम करता
है (LCD/LED स्क्रीन के साथ संगत नहीं)।
प्रकाशीय
पेन vs. टचस्क्रीन :-
|
पैरामीटर |
प्रकाशीय पेन |
टचस्क्रीन |
|
संगतता |
केवल CRT मॉनिटर |
LCD/LED स्क्रीन |
|
सटीकता |
अधिक सटीक |
कम सटीक (फिंगर टच के साथ) |
|
उपयोग |
ड्रॉइंग, डिजाइन |
सामान्य इंटरैक्शन |
|
लागत |
अधिक |
कम |
प्रकाशीय पेन का इतिहास :-
v 1950 के दशक में विकसित किया गया।
v 1980 और 1990 के दशक में ग्राफिक्स और CAD एप्लिकेशन्स में लोकप्रिय।
v 2000 के बाद टचस्क्रीन और स्टाइलस पेन के आगमन के साथ इसका
उपयोग कम हो गया।
महत्वपूर्ण
बिदु :-
प्रकाशीय पेन एक अभिनव
इनपुट डिवाइस था, जिसने कंप्यूटर के साथ
इंटरैक्शन को सरल और सहज बनाया। हालाँकि, आधुनिक तकनीकों ने इसे प्रतिस्थापित कर दिया है, लेकिन इसका योगदान कंप्यूटर इतिहास में
महत्वपूर्ण रहा है।
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