वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web, WWW) क्या है |

वर्ल्ड वाइड वेब क्या होता है |

वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web, WWW) इंटरनेट पर सूचनाओं को एक्सेस करने और साझा करने का एक सिस्टम है। यह हाइपरटेक्स्ट डॉक्युमेंट्स (वेब पेज) को आपस में जोड़कर एक वैश्विक (global) नेटवर्क बनाता है।

  •  WWW इंटरनेट पर उपलब्ध सूचनाओं का एक विशाल संग्रह है, जो हाइपरलिंक्स के माध्यम से जुड़े वेब पेजों से बना है।
  • आविष्कारक: टिम बर्नर्सली ने 1989 में CERN (यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च) में इसका आविष्कार किया।
  • मुख्य उद्देश्य: वैज्ञानिकों के बीच सूचनाओं के आदानप्रदान को आसान बनाना।
  • उदाहरण: गूगल, फेसबुक, विकिपीडिया जैसी वेबसाइटें WWW का हिस्सा हैं।

  WWW और इंटरनेट में अंतर :-

           वर्ल्ड वाइड वेब (WWW)

इंटरनेट

         यह इंटरनेट पर चलने वाली एक सेवा है।

यह कंप्यूटर नेटवर्क का वैश्विक सिस्टम है।

       वेब पेज, वेबसाइट और हाइपरलिंक्स से बना है।

राउटर, केबल, सर्वर और प्रोटोकॉल (TCP/IP) से बना है।

       सूचनाओं को एक्सेस करने का टूल है।

सूचनाओं को ट्रांसफर करने का इन्फ्रास्ट्रक्चर है।

      उदाहरण: Chrome में वेबसाइट खोलना।

उदाहरण: ईमेल भेजना या फ़ाइल डाउनलोड करना।

  WWW के मुख्य घटक :-

1. HTML (Hypertext Markup Language): वेब पेज बनाने की भाषा।

2. HTTP/HTTPS (Hypertext Transfer Protocol): ब्राउज़र और सर्वर के बीच डेटा ट्रांसफर के नियम।

3. URL (Uniform Resource Locator): वेब पेज का यूनिक पता (जैसे `https://www.google.com`)

4. वेब ब्राउज़र: वेबसाइट एक्सेस करने का टूल (जैसे Chrome, Firefox)

5. वेब सर्वर: वेब पेज स्टोर करने और डिलीवर करने वाला कंप्यूटर।

 WWW कैसे काम करता है ? :-

1. उपयोगकर्ता ब्राउज़र में URL डालता है (जैसे `www.example.com`)

2. DNS सर्वर URL को IP एड्रेस में बदलता है (जैसे `192.168.1.1`)

3. ब्राउज़र HTTP रिक्वेस्ट वेब सर्वर को भेजता है।

4. सर्वर HTML, CSS, और JavaScript फ़ाइलें भेजता है।

5. ब्राउज़र इन फ़ाइलों को रेंडर करके वेब पेज दिखाता है।

6. उपयोगकर्ता हाइपरलिंक्स पर क्लिक करके अन्य पेजों पर नेविगेट करता है।

WWW का इतिहास (History of WWW) :-

  • 1989: टिम बर्नर्सली ने "Information Management: A Proposal" पेश किया।
  • 1991: पहली वेबसाइट (`http://info.cern.ch`) लॉन्च हुई।
  • 1993: Mosaic ब्राउज़र ने ग्राफ़िकल इंटरफ़ेस को पॉपुलर बनाया।
  • 1995: Amazon और eBay जैसी ईकॉमर्स साइट्स का उदय।
  • 2000s: Web 2.0 का युग (यूजरजनरेटेड कंटेंट, सोशल मीडिया)।
  • आज: Web3 और डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी (ब्लॉकचेन) का विकास।

वेबसाइट के प्रकार (Types of Websites) :-

1. स्टैटिक वेबसाइट: HTML और CSS से बनी, कंटेंट अपडेट नहीं होता (जैसे ब्रोशर साइट)।

2. डायनामिक वेबसाइट: डेटाबेस और सर्वरसाइड स्क्रिप्टिंग (PHP, Python) का उपयोग (जैसे फेसबुक)।

3. ब्लॉग/विकी: यूजरजनरेटेड कंटेंट (जैसे विकिपीडिया, Medium)

4. ईकॉमर्स: ऑनलाइन शॉपिंग (जैसे Amazon, Flip kart)

5. सोशल मीडिया: नेटवर्किंग (जैसे Instagram, Twitter)

6. शैक्षणिक: ऑनलाइन लर्निंग (जैसे Coursers, Khan Academy)

  WWW की विशेषताएँ (Features of WWW) :-

  • हाइपरलिंक: टेक्स्ट, इमेज या बटन को क्लिक करके दूसरे पेज पर जाना।
  • मल्टीमीडिया सपोर्ट: टेक्स्ट, इमेज, वीडियो, ऑडियो का संयोजन।
  • इंटरएक्टिविटी: फॉर्म, लॉगिन, और कमेंट सिस्टम।
  • क्रॉसप्लेटफ़ॉर्म: किसी भी डिवाइस (कंप्यूटर, मोबाइल) से एक्सेस।
  • सर्च इंजन: गूगल, बिंग जैसे टूल्स से सूचना ढूँढना।

 WWW के फायदे (Advantages of WWW) :-

1. सूचना की सुलभता: दुनिया भर का ज्ञान एक क्लिक पर।

2. संचार: सोशल मीडिया, ईमेल, और वीडियो कॉल।

3. शिक्षा: ऑनलाइन कोर्सेज और डिजिटल लाइब्रेरी।

4. व्यापार: ग्लोबल मार्केट तक पहुँच और डिजिटल मार्केटिंग।

5. मनोरंजन: स्ट्रीमिंग, गेमिंग, और ऑनलाइन किताबें।

 WWW के नुकसान (Disadvantages of WWW) :-

1. साइबर सुरक्षा खतरे: हैकिंग, डेटा लीक, फ़िशिंग।

2. गोपनीयता का हनन: कुकीज़ और ट्रैकिंग के माध्यम से डेटा कलेक्शन।

3. गलत सूचना: फेक न्यूज़ और प्रोपेगैंडा।

4. डिजिटल डिवाइड: इंटरनेट एक्सेस न होने वाले क्षेत्रों में पिछड़ापन।

5. समय की बर्बादी: सोशल मीडिया और गेमिंग की लत।

 WWW का भविष्य (Future of WWW) :-

1. Web3: डिसेंट्रलाइज्ड वेब (ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी पर आधारित)।

2. AI इंटीग्रेशन: पर्सनलाइज्ड कंटेंट और चैटबॉट्स (जैसे ChatGPT)

3. वर्चुअल रियलिटी (VR): इमर्सिव वेब अनुभव (मेटावर्स)।

4. सिमेंटिक वेब: मशीनरीडेबल डेटा (जैसे सर्च इंजन में सटीकता)।

5. 5G और फाइबर: अल्ट्राफास्ट स्पीड और कम लेटेंसी।

 WWW से जुड़े महत्वपूर्ण शब्द (Key Terms) :-

  • HTTP स्टेटस कोड: `404` (पेज नहीं मिला), `200` (सक्सेस)।
  • कुकीज़ (Cookies): उपयोगकर्ता की प्राथमिकताएँ स्टोर करने वाली फ़ाइलें।
  • कैश (Cache): ब्राउज़र द्वारा स्टोर की गई अस्थायी फ़ाइलें।
  • SEO (Search Engine Optimization): सर्च इंजन में वेबसाइट की रैंकिंग बढ़ाना।
  • API (Application Programming Interface): सर्वर और सॉफ़्टवेयर के बीच कनेक्शन।

 WWW सुरक्षा टिप्स (WWW Safety Tips) :-

1. HTTPS वेबसाइट्स (`?` आइकन) का ही उपयोग करें।

2. अज्ञात लिंक्स या अटैचमेंट्स न खोलें।

3. नियमित रूप से ब्राउज़र और सॉफ़्टवेयर अपडेट करें।

4. स्ट्रॉन्ग पासवर्ड और टूफैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) यूज़ करें।

5. एंटीवायरस और फ़ायरवॉल चालू रखें।

महत्वपूर्ण बिंदु :-


 वर्ल्ड वाइड वेब शिक्षा, संचार, व्यापार और मनोरंजन के क्षेत्र में क्रांति ला चुका है। हालाँकि, इसके साथ जुड़े जोखिमों (साइबर अपराध, गोपनीयता) से सावधान रहना भी ज़रूरी है। भविष्य में, Web3 और AI जैसी तकनीकें WWW को और अधिक शक्तिशाली बनाएँगी।


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