कंप्यूटर वायरस (Computer Virus) एक प्रकार का मालवेयर (Malware) है जो कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुँचाने, डेटा चोरी करने, या सिस्टम की कार्यक्षमता को बाधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक प्रोग्राम या कोड होता है जो स्वयं को किसी फाइल, सॉफ्टवेयर, या सिस्टम से जोड़कर फैलता है और अपने निर्देशों के अनुसार काम करता है।
कंप्यूटर वायरस की परिभाषा :-
कंप्यूटर वायरस एक दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर है जो किसी होस्ट प्रोग्राम या फाइल से जुड़कर स्वयं को कॉपी करता है और अन्य सिस्टम या फाइलों में फैलता है। यह उपयोगकर्ता की जानकारी के बिना ही सिस्टम को नुकसान पहुँचा सकता है।
कंप्यूटर
वायरस के प्रकार :-
1. बूट
सेक्टर वायरस (Boot Sector Virus) :-
- यह वायरस कंप्यूटर के बूट सेक्टर को संक्रमित करता है और सिस्टम के स्टार्ट होते ही एक्टिव हो जाता है।
- उदाहरण: Stoned, Michelangelo।
2. फाइल
इन्फेक्टिंग वायरस (File Infecting Virus) :-
- यह वायरस एक्जीक्यूटेबल फाइल्स (.exe, .com) को संक्रमित करता है।
- उदाहरण: Jerusalem, Cascade।
3. मैक्रो
वायरस (Macro Virus) :-
- यह वायरस मैक्रोआधारित डॉक्यूमेंट्स (जैसे Word, Excel) को संक्रमित करता है।
- उदाहरण: Melissa, Love Bug।
4. पॉलीमॉर्फिक
वायरस (Polymorphic Virus) :-
- यह वायरस अपना कोड बदलता रहता है, जिससे इसे डिटेक्ट करना मुश्किल हो जाता है।
- उदाहरण: Satan Bug, Elkern।
5. वर्म
(Worm) :-
- यह वायरस नेटवर्क के माध्यम से फैलता है और सिस्टम रिसोर्सेज को कंज्यूम करता है।
- उदाहरण: ILOVEYOU, Code Red।
6. ट्रोजन
हॉर्स (Trojan Horse) :-
- यह एक प्रकार का मालवेयर है जो उपयोगकर्ता को लुभाकर सिस्टम में प्रवेश करता है और डेटा चोरी करता है।
- उदाहरण: Zeus, SpyEye।
7. रूटकिट
(Rootkit) :-
- यह वायरस सिस्टम के एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सेस को हाईजैक करता है और खुद को छुपाता है।
- उदाहरण: TDSS, ZeroAccess।
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वायरस के लक्षण (Symptoms of Computer Virus) :-
1. सिस्टम की स्पीड धीमी हो जाना।
2. अनचाहे पॉपअप विंडोज का दिखना।
3. फाइल्स का डिलीट होना या करप्ट होना।
4. हार्ड डिस्क स्पेस का अचानक कम होना।
5. प्रोग्राम्स का अपने आप खुलना या बंद होना।
6. इंटरनेट स्पीड का धीमा होना।
7. सिस्टम का बारबार क्रैश होना।
कंप्यूटर वायरस के
प्रभाव (Effects of Computer Virus) :-
1. डेटा
लॉस: फाइल्स का डिलीट या करप्ट होना।
2. सिस्टम
डैमेज: हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर को नुकसान पहुँचना।
3. प्राइवेसी
ब्रीच: पर्सनल डेटा चोरी होना।
4. फाइनेंशियल
लॉस: बैंक डिटेल्स चोरी होना या रैंसमवेयर के लिए पैसे मांगना।
5. नेटवर्क
प्रभाव: नेटवर्क के माध्यम से अन्य सिस्टम को संक्रमित करना।
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वायरस से बचाव (Prevention from Computer Virus) :-
1. एंटीवायरस
सॉफ्टवेयर :-
v विश्वसनीय एंटीवायरस सॉफ्टवेयर (जैसे: Norton, McAfee, Kaspersky) का उपयोग करें।
2. सॉफ्टवेयर
अपडेट :-
v ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर को नियमित रूप से अपडेट करें।
3. अनजान
लिंक और अटैचमेंट :-
v ईमेल या मैसेज में आए अनजान लिंक या अटैचमेंट को न खोलें।
4. फायरवॉल
:-
v फायरवॉल को एक्टिवेट करके नेटवर्क सुरक्षा बढ़ाएँ।
5. बैकअप
:-
v नियमित रूप से डेटा का बैकअप लें।
6. USB और
एक्सटर्नल डिवाइस :-
v अनजान USB या एक्सटर्नल डिवाइस को सिस्टम में न लगाएँ।
कंप्यूटर वायरस का
इतिहास (History of Computer Virus :-
- पहला कंप्यूटर वायरस Creeper 1971 में बनाया गया था।
- Brain (1986) पहला बूट सेक्टर वायरस था।
- ILOVEYOU (2000) ने दुनिया भर में लाखों कंप्यूटर को संक्रमित किया।
- WannaCry (2017) एक रैंसमवेयर था जिसने वैश्विक स्तर पर हमला किया।
महत्वपूर्ण बिंदु :-
कंप्यूटर वायरस एक गंभीर
साइबर खतरा है जो सिस्टम और डेटा को नुकसान पहुँचा सकता है। इससे बचने के लिए
सावधानी और सुरक्षा उपायों का पालन करना आवश्यक है। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर, फायरवॉल, और नियमित अपडेट्स का उपयोग करके वायरस के खतरे को कम किया
जा सकता है।

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